Thursday, October 29, 2009

जल है तो कल है

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटा हरियाणा का फरीदाबाद जिला जहाँ पानी की कमी के कारण दो गुटों में विवाद हो गया और आपस में तलवारे खिच गयी. जिसमे दोनों गुटों के लोग घायल हुए. फरीदाबाद में पानी को लेकर इस तरह की यह कोई नयी घटना नहीं है ऐसा अमूमन हर वर्ष देखा जाता है. हरियाणा का एक और जिला रोहतक जहाँ पानी को लेकर दंगा भड़क गया जिसमें कई लोगो सहित दर्जनों पुलिसकर्मी घायल हो गये . दिल्ली में भी इस तरह की घटनाएँ अब आम हो चली हैं.
कई दिग्गजों ने राय जाहिर की है कि तीसरा विश्व युद्ध पानी को लेकर होगा. पानी से जुडी इन घटनाओं को देखकर लगता है कि शायद वो सही है और ये विश्व युद्ध का पूर्वाभ्यास है. फरीदाबाद में पानी के लगातार गिर रहे भू जल स्तर को रोककर पेयजल की समस्या को दूर करने हेतु एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमे गिरते भू जल स्तर पर चिंता जाहिर कर के कार्यशाला की इतिश्री कर ली गयी.
भूजल बोर्ड की एक रिपोर्ट को आधार मानकर बात की जे तो यह चिंता नही वरन चिंतन का विषय है. रिपोर्ट में खुलासा किया गया है की दिल्ली और आसपास के इलाको में पिछले आठ सालो से भूजल स्तर गिरने का सिलसिला बदस्तूर जारी है.यह प्रतिवर्ष एक मीटर की गती से नीचे जा रहा है. मौजदा समय में लगभग चालीस देशों और दो अरब लोगों के पास निकट भविष्य में जरुरत भर का पानी नहीं होगा. वर्ष २००८ के अंत तक ऐसे लोगों की संख्या तीन अरब के पार जा चुकी है जो अपनी प्यास नहीं बुझा पा रहे हैं. आज ८ अरब से ज्यादा लोग दुर्लभ जल संसाधन के लिए एक दूसरे से होड़ लगा रहे हैं.यदि हालात ऐसे ही रहे तो वर्ष २०५० तक लगभग दस अरब लोग प्यासे रह जायेगे.
आंकडों की लम्बी फेहरिस्त है जो यह बता रही है कि अबाध गति से बढ़ रही जनसँख्या ने प्यास और मौजूद पानी के बीच के संतुलन को बिगड़ कर रख दिया है. प्यास बढ़ती जा रही है और पानी घटता जा रहा है.
समय गवाह है जब जब आम आदमी ने पानी पाने और बचाने की कवायद की है उसे सफलता ही मिली है. पानी की किल्लत को देखते हुए देश का शायद ही कोई कोना ऐसा हो जहाँ पानी बचाने के जाना प्रयास न हो रहे हों. हाँ इतना जरुर है कि इन जनप्रयासों का दायरा सिमटा हुआ है.अगर पानी की इस किल्लत से छुटकारा पाना है तो हमें इस दायरे को बढ़ाना होगा. तो जनाब आज से ही पानी बचाना शुरू करें.
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