Tuesday, May 26, 2009

वक्त का अहसास

तेज धारो को चीर कर आए हैं,
तब किनारों को देख पाए हैं
वक्त ने जब भी हमें आजमाया है
हमने आगे कदम बढाया है
एक उम्मीद लेके होठो पर
हम गमो में भी मुस्कराए हैं
धीरे धीरे ही सही हम अपने को
रौशनी तक ले के तो आए हैं

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